धर्मी कुण्डली (Dharmi Kundli In Lal Kitab)

जब किसी व्यक्ति की कुण्डली के चतुर्थ भाव में राहु या केतु हो (Rahu And Ketu In Fourth House) या फिर कुण्डली के किसी भी भाव में चन्द्रमा के साथ राहु हो या केतु हो (Rahu And Ketu With Moon) तो कुण्डली धर्मी कहलाती है. अन्य स्थिति में जब शनि एकादश भाव (Saturn In Eleventh House) में हो या बृहस्पति व शनि (Combination Of Jupiter And Saturn) की युति कुण्डली के किसी भी भाव में हो तो वह धर्मी कुण्डली कहलाती है.

जब किसी व्यक्ति की कुण्डली के चतुर्थ भाव में राहु या केतु हो (Rahu And Ketu In Fourth House) या फिर कुण्डली के किसी भी भाव में चन्द्रमा के साथ राहु हो या केतु हो (Rahu And Ketu With Moon) तो कुण्डली धर्मी कहलातीहै. अन्य स्थिति में जब शनि एकादश भाव (Saturn In Eleventh House) में हो या बृहस्पति व शनि (Combination Of Jupiter And Saturn) की युति कुण्डली के किसी भी भाव में हो तो वह धर्मी कुण्डली कहलाती है. क्योंकि धर्मीकुण्डली को बनाने में शनि, राहु, केतु (Saturn, Rahu And Ketu) जैसे क्रूर ग्रहो का अधिकतर योगदान होता है तो ऎसी स्थिति में नैसर्गिक क्रूर ग्रहो के स्वभाव Nature Of Natural Malefic Planet) में परिवर्तन हो जाता है.

अब ये क्रूरग्रह अशुभ फल देने की बजाऎ शुभ फल प्रदान करते है. इसमें एक विशेष बात यह है कि ग्रह जिस भाव में स्थित होकर धर्मी कुण्डली का निर्माण करते है, उस भाव से सम्बन्धित शुभ फल (Auspicious Result) विशेष रुप से प्रदान करते हैं. मान लो शनि एकादश भाव (Saturn In Eleventh House) में स्थित होकर धर्मी कुण्डली बना रहा है तो व्यक्ति की आय का स्त्रोत (Source) काफी मजबूत होगा अर्थात उसे निरन्तर आमदनी होती रहेगी तथा उसके मित्रो का दायरा भी विस्तृत होगा. इसी प्रकार राहु के चतुर्थ भाव में स्थित होने के कारण कुण्डली धर्मी कहलाती है. ऎसे व्यक्ति को राजनीति के क्षेत्र में विशेष रुप से सफलता मिलती है. मान लो यदि व्यक्ति प्रत्यक्ष रुप से राजनीति में न भी हो, तो भी वह अप्रत्यक्ष रुप सेराजनीतिक व्यक्तियों से लाभ उठाता है. इसी प्रकार ग्रहो का अन्य भाव से सम्बन्ध बनने पर उसके अनुरुप शुभ फल प्राप्त होगा. लाल किताब में धर्मी कुण्डली (Dharmi Kundli In Lal Kitab) का बहुत महत्व होता है.

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