प्रतियोगिता या विवाद के प्रश्न (Prashna about Competition)

प्रतियोगिता एवं वाद के परिणाम के प्रति सभी की उत्सुकता होती है. प्रश्न ज्योतिष (Horary Astrology) के अनुसार प्रतियोगिता एवं वाद के संबन्ध में अंदाज़ा स्वयं लगा सकते हैं.
प्रतियोगिता से सम्बन्ध रखने वाले महत्वपूर्ण भाव (Houses Determines Results of Competition)
प्रतियोगिता अथवा वाद विवाद की जब बात करते हैं तब प्रथम भाव यानी लग्न (ascendant) प्रश्नकर्ता होता है. छठे भाव से छुपे हुए शत्रुओं का आंकलन किया जाता है. सप्तम भाव से विपक्षी और प्रत्यक्ष शत्रु का विचार किया जाता है. दशम भाव से न्यायपालिका या न्यायकर्ता को जाना जाता है. चतुर्थ भाव निर्णय का भाव है जिससे व्यक्ति को मिलने वाले फल को देखा जाता है. वाद विवाद के प्रश्नो मे पाप ग्रह (malefic planet) लग्न मे प्रश्नकर्ता को अत्यधिक बल और उत्साह देता है, जिसे विजय प्राप्ति के लिए आवश्यक माना जाता है. प्रश्न कुण्डली के नियम के अनुसार देखें तो लग्न में पाप ग्रह के होने से प्रश्नकर्ता की जीत होती है जबकि सप्तम भाव में पाप ग्रह होने पर विपक्षी के जीत का संकेत माना जाता है. गौर तलब बात है कि लग्न और सप्तम दोनो में ही पाप ग्रह हों तब दोनों में से जो बलवान होता है वह जीतता है. अगर दोनों समान रूप से बली हों तो फैसला दोनों के पक्ष में बराबर होता है. इस स्थिति का उदाहरण खेलों में देखने को मिलता है.
वाद विवाद एवं प्रतियोगिता में किसकी होगी जीत
ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार लग्नेश (lord of the ascendant) अथवा सप्तमेश (lord of the 7th house) मे से जो बलवान होता है वह विजयी होता है. जो ग्रह वक्री (retrograde) या कमजोर (debilitated) होता है वह पराजित होता है. लग्नेश और सप्तमेश के बल का निर्धारण करने मे जो ग्रह केन्द्र (center house) मे कम अंशो मे स्थित होता है वह बलवान माना जाता है. लग्नेश और सप्तमेश के बीच जो ग्रह सूर्य के साथ सम्बन्ध बनाये वह विजयी होता है. यदि प्रश्न लग्न मे क्रूर ग्रह (inauspicious planet) हो तो प्रश्नकर्ता की मुकदमे मे जीत होती है. यदि द्वितीय भाव एवं नवम भाव मे शुभ ग्रह हो तो वादी की और पाप ग्रह हो तो प्रतिवादी की जीत होती है. लग्न से नवम भाव मे दो शुभ ग्रह हो तो प्रश्नकर्ता की जीत होती है जबकि शनि तथा मंगल हो तो मुकदमे मे हार होती है.
समझौता होगा या विवाद लम्बा चलेगा
जब लग्नेश और सप्तमेश मे सम्बन्ध हो (conjunction of lord of the ascendant, 7th house and Moon)और चन्द्र भी इस योग मे शामिल हो तो वादी और प्रतिवादी के बीच समझौता होने की प्रबल संभावना बनती है. कुण्डली के पंचम भाव मे लग्नेश (lord of the ascendant)बैठा हो और केन्द्र स्थान(center house) में शुभ ग्रह विराजमान हो तो इस बात का संकेत प्राप्त होता है कि सम्बन्धित विवाद में दोनों पक्षों के बीच सुलह हो सकती है. विवाद में समझौते की संभावना उस स्थिति में भी बनती है जब सप्तमेश प्रतिवादी हो और छठे भाव का स्वामी उसका मित्र हो.
प्रश्न कुण्डली से वकील का विचार (Assessment of Lawyer from Horary Chart)
प्रश्न कुण्डली (horary chart) मे बुध को वकील माना जाता है. प्रश्नकर्ता या प्रतिवादी के वकील की योग्यता जानने के लिए लग्न लग्नेश या सप्तम सप्तमेश से बुध कि तुलना की जाती है. बुध का प्रतिवादी के छठे भाव मे जाना वकील का प्रतिवादी से मिले होने का संकेत होता है.
निर्णय किसके पक्ष मे होगा (Result of the Competition)
कानूनी लड़ाई मे प्रश्नकर्ता विवाद के परिणाम का पूर्व ज्ञान भी प्राप्त कर सकता है. अगर प्रश्न कुण्डली के दशम भाव मे मंगल के साथ शुक्र या गुरू (combination of Jupiter/Venus, Mars and 10th house)युति बनाकर बैठा हो तो निर्णय निष्पक्ष होगा. दशम में बुध का होना संकेत देता है कि निर्णय में पक्षपात की संभावना है. इस भाव सूर्य कठोर निर्णय का संकेत देता है. मंगल या शनि दशम में अकेला हो तो मामला जिस कोर्ट में चल रहा है उससे आगे के कोर्ट में जाएगा ऐसा माना जाता है.
प्रतियोगिता से सम्बन्ध रखने वाले महत्वपूर्ण भाव (Houses Determines Results of Competition)
प्रतियोगिता अथवा वाद विवाद की जब बात करते हैं तब प्रथम भाव यानी लग्न (ascendant) प्रश्नकर्ता होता है. छठे भाव से छुपे हुए शत्रुओं का आंकलन किया जाता है. सप्तम भाव से विपक्षी और प्रत्यक्ष शत्रु का विचार किया जाता है. दशम भाव से न्यायपालिका या न्यायकर्ता को जाना जाता है. चतुर्थ भाव निर्णय का भाव है जिससे व्यक्ति को मिलने वाले फल को देखा जाता है. वाद विवाद के प्रश्नो मे पाप ग्रह (malefic planet) लग्न मे प्रश्नकर्ता को अत्यधिक बल और उत्साह देता है, जिसे विजय प्राप्ति के लिए आवश्यक माना जाता है. प्रश्न कुण्डली के नियम के अनुसार देखें तो लग्न में पाप ग्रह के होने से प्रश्नकर्ता की जीत होती है जबकि सप्तम भाव में पाप ग्रह होने पर विपक्षी के जीत का संकेत माना जाता है. गौर तलब बात है कि लग्न और सप्तम दोनो में ही पाप ग्रह हों तब दोनों में से जो बलवान होता है वह जीतता है. अगर दोनों समान रूप से बली हों तो फैसला दोनों के पक्ष में बराबर होता है. इस स्थिति का उदाहरण खेलों में देखने को मिलता है.
वाद विवाद एवं प्रतियोगिता में किसकी होगी जीत
ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार लग्नेश (lord of the ascendant) अथवा सप्तमेश (lord of the 7th house) मे से जो बलवान होता है वह विजयी होता है. जो ग्रह वक्री (retrograde) या कमजोर (debilitated) होता है वह पराजित होता है. लग्नेश और सप्तमेश के बल का निर्धारण करने मे जो ग्रह केन्द्र (center house) मे कम अंशो मे स्थित होता है वह बलवान माना जाता है. लग्नेश और सप्तमेश के बीच जो ग्रह सूर्य के साथ सम्बन्ध बनाये वह विजयी होता है. यदि प्रश्न लग्न मे क्रूर ग्रह (inauspicious planet) हो तो प्रश्नकर्ता की मुकदमे मे जीत होती है. यदि द्वितीय भाव एवं नवम भाव मे शुभ ग्रह हो तो वादी की और पाप ग्रह हो तो प्रतिवादी की जीत होती है. लग्न से नवम भाव मे दो शुभ ग्रह हो तो प्रश्नकर्ता की जीत होती है जबकि शनि तथा मंगल हो तो मुकदमे मे हार होती है.
समझौता होगा या विवाद लम्बा चलेगा
जब लग्नेश और सप्तमेश मे सम्बन्ध हो (conjunction of lord of the ascendant, 7th house and Moon)और चन्द्र भी इस योग मे शामिल हो तो वादी और प्रतिवादी के बीच समझौता होने की प्रबल संभावना बनती है. कुण्डली के पंचम भाव मे लग्नेश (lord of the ascendant)बैठा हो और केन्द्र स्थान(center house) में शुभ ग्रह विराजमान हो तो इस बात का संकेत प्राप्त होता है कि सम्बन्धित विवाद में दोनों पक्षों के बीच सुलह हो सकती है. विवाद में समझौते की संभावना उस स्थिति में भी बनती है जब सप्तमेश प्रतिवादी हो और छठे भाव का स्वामी उसका मित्र हो.
प्रश्न कुण्डली से वकील का विचार (Assessment of Lawyer from Horary Chart)
प्रश्न कुण्डली (horary chart) मे बुध को वकील माना जाता है. प्रश्नकर्ता या प्रतिवादी के वकील की योग्यता जानने के लिए लग्न लग्नेश या सप्तम सप्तमेश से बुध कि तुलना की जाती है. बुध का प्रतिवादी के छठे भाव मे जाना वकील का प्रतिवादी से मिले होने का संकेत होता है.
निर्णय किसके पक्ष मे होगा (Result of the Competition)
कानूनी लड़ाई मे प्रश्नकर्ता विवाद के परिणाम का पूर्व ज्ञान भी प्राप्त कर सकता है. अगर प्रश्न कुण्डली के दशम भाव मे मंगल के साथ शुक्र या गुरू (combination of Jupiter/Venus, Mars and 10th house)युति बनाकर बैठा हो तो निर्णय निष्पक्ष होगा. दशम में बुध का होना संकेत देता है कि निर्णय में पक्षपात की संभावना है. इस भाव सूर्य कठोर निर्णय का संकेत देता है. मंगल या शनि दशम में अकेला हो तो मामला जिस कोर्ट में चल रहा है उससे आगे के कोर्ट में जाएगा ऐसा माना जाता है.
Tags
Categories
Please rate this article:
प्रतियोगिता या विवाद के प्रश्न (Prashna about Competition) Acharya Shashikant Rating: 1.00 out of 5
- Lal Kitab Remedies for Sleeping House - लाल किताब सोया घ...
- मंगल केतु में समनता एवं विभेद (Similarities and differen...
- विवाह के उपाय (Remedies and Upay to avoide late marriag...
- प्रश्न कुण्डली से पूछिये प्रेम में सफलता मिलेगीं या नहीं...
- समय और ग्रहों के अनुकूल रत्न धारण (Wearing Lucky Gemston...
- जैमिनी ज्योतिष से विवाह का विचार Determination of Marria...
- लाल किताब और गृहस्थ सुख (Lal kitab and the Married life)...
- Effects of Jupiter on Career and Business
- जन्म कुण्डली और प्रश्न कुण्डली ( Birth Horoscope vs. Pra...
- ज्योतिष में ग्रहों और राशियों की शक्ति ( The Power of ...
- Free Online Jyotish
- Kundli
- Kundli Prediction
- Kaalsarp Dosha Check
- Varsh Kundli
- Varshfal
- Rashifal
- Monthly Horoscope
- Chogadia
- Rahu Kaal
- Panchangam
- Marriage Compatibility
- Kundli Matching
- Manglik Dosha Check
- Lal Kitab
- Lal Kitab Kundli
- Lal Kitab Kundli Rin
- Numerology
- Name Analysis
- Birth Date Analysis
- Is my name Lucky
- Misc
- Lucky Gemstone
- Lucky Rudraksha bead