मंगल केतु में समनता एवं विभेद (Similarities and differences between Mars and Ketu)
मंगल को नवग्रहों में तीसरा स्थान प्राप्त है और केतु को नवम स्थान फिर भी ज्योतिष की पुस्तकों में कई स्थान पर लिखा मिलता है कि मंगल एवं केतु समान फल देने वाले ग्रह हैं (It is said in many jyotish books that Mars and Ketu give similar results). ज्योतिषशास्त्र में मंगल एवं केतु को राहु एवं शनि के समान ही पाप ग्रह कहा जाता है. मंगल एवं केतु दोनों ही उग्र एवं क्रोधी स्वभाव के माने जाते हैं. इनकी प्रकृति अग्नि प्रधान होती है. मंगल एवं केतु एक प्रकृति होने के बावजूद इनमें काफी कुछ अंतर हैं एवं कई विषयों में मंगल केतु एक समान प्रतीत होते हैं.
मंगल एवं केतु में समानता (Similarities between Mars and Ketu)
मंगल एवं केतु में समानता (Similarities between Mars and Ketu)
मंगल व केतु दोनों ही जोशीले ग्रह हैं. लेकिन, इनका जोश अधिक समय तक नहीं रहता है. दूध की उबाल की तरह इनका इनका जोश जितनी चल्दी आसमान छूने लगता है उतनी ही जल्दी वह ठंढ़ा भी हो जाता है. इसलिए, इनसे प्रभावित व्यक्ति अधिक समय तक किसी मुद्दे पर डटे नहीं रहते हैं, जल्दी ही उनके अंदर का उत्साह कम हो जाता है और मुद्दे से हट जाते हैं (People influenced by Mars and Ketu get excited quickly, but also lose the excitement fast). मंगल एवं केतु का यह गुण है कि इन्हें सत्ता सुख काफी पसंद होता है. ये राजनीति में एवं सरकारी मामलों में काफी उन्नति करते हैं. शासित होने की बजाय शासन करना इन्हें रूचिकर लगता है. मंगल एवं केतु दोनों को कष्टकारी, हिंसक, एवं कठोर हृदय वाला गह कहा जाता है. परंतु, ये दोनों ही ग्रह जब देने पर आते हैं तो उदारता की पराकष्ठा दिखाने लगते हैं यानी मान-सम्मान, धन-दौलत से घर भर देते हैं.
मंगल केतु में विभेद (Differences between Mars and Ketu)
मंगल केतु में विभेद (Differences between Mars and Ketu)
मंगल केतु में शनि एवं राहु के समान भौतिक एवं अभौतिक का विभेद है अर्थात मंगल सौर मंडल में एक भौतिक पिण्ड के रूप में मौजूद है जबकि केतु चन्द्र के क्रांतिपथ का वह आभाषीय बिन्दु हैं जहां चन्द्र पृथ्वी के पथ को काटकर दक्षिण की तरफ आगे बढ़ता है. मंगल के दो ग्रह हैं मेष एवं वृश्चिक जबकि केतु की अपनी राशि नहीं है. केतु भी राहु की तरह उस राशि पर अधिकार कर लेता है जिस राशि में वह वर्तमान होता है.
मंगल अपने प्रराक्रम के कारण जब किसी के लिए कुछ करने पर आता है तो उसके लिए प्राण न्यौछावर करने के लिए तैयार रहता है. परंतु, इसके पराक्रम का दूसरा पहलू यह है कि अगर यह दुश्मनी करने पर आ जाए तो प्राण लेने से भी पीछे नहीं हटता है. केतु की भी इसी तरह की विशेषता है कि जब यह त्याग करने पर आता है तो साधुवाद धारण कर लेता है. राजसी सुख-वैभव का त्याग करने में भी इसे वक्त नहीं लगता लेकिन, जब पाने की इच्छा होती है तो अपनी चतुराई एवं कुटनीति से झोपड़ी को भी महल में बदल डालता है.
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