1. Category archives for: विवाह ज्योतिष (Marriage Astrology)

ज्योतिष के अनुसार  वर और कन्या की कुण्डली मिलायी जाती है। कुण्डली मिलान से पता चलता है कि वर कन्या की कुण्डली मे कितने गुण मिलते हैं, कुल 36 गुणों में से 18 से अधिक गुण मिलने पर यह आशा की जाती है कि वर वधू का जीवन खुशहाल और प्रेमपूर्ण रहेगा...

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समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की इच्छा के कारण माता-पिता व भावी वर-वधू भी चाहते है कि अनुकुल समय पर ही विवाह हो जायें. कुण्डली में विवाह विलम्ब से होने के योग होने पर विवाह की बात बार-बार प्रयास करने पर भी कहीं बनती नहीं है. इस प्र...

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प्रेम विवाह करने वाले लडके व लडकियों को एक-दुसरे को समझने के अधिक अवसर प्राप्त होते है.

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विवाह समय निर्धारण के लिये सबसे पहले कुण्डली में विवाह के योग देखे जाते है. इसके लिये सप्तम भाव, सप्तमेश व शुक्र से संबन्ध बनाने वाले ग्रहों का विश्लेषण किया जाता है.

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सुखी दाम्पत्य जीवन के लिये भावी वर-वधू की कुण्डली में गुरु पाप प्रभाव से मुक्त (Jupiter should be free for malefic influence) होना चाहिए.

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कुण्डली में जब प्रेम विवाह के विषय में ग्रह स्थिति का विचार किया जाता है तब पांचवें, सातवें और ग्यारहवे भाव तथा इस भाव के स्वामी की स्थिति को भी देखा जाता है. कुण्डली में गुरू की स्थिति से प्रेम का विचार किया जाता है (Jupiter is analysed to...

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विवाह के बाद पति पत्नी में उनके व्यवहार और स्वभाव को लेकर बात बहुत आगे बढ़ जाती है.

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विवाह के लिए प्रश्न कुण्डली में सप्तम, द्वितीय और एकादश भाव को देखा जाता है.

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जैमिनी ज्योतिष (Jaimini Jyotish) में विवाह के विचार के लिए उपपद को एक महत्वपूर्ण कारक के रुप में देखा जाता है. उपपद और दाराकारक (Uppad and Dara Karak) से दूसरे एवं सातवें घर एवं उनके स्वामियों का भी विवाह के संदर्भ में विचार किया जाता है. इ...

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लाल किताब कहता है यदि शुक्र जन्म कुण्डली में सोया हुआ है तो स्त्री सुख में कमी आती है. राहु अगर सूर्य के साथ योग बनाता है तो शुक्र मंदा हो जाता है जिसके कारण आर्थिक परेशानियों के साथ साथ स्त्री सुख भी बाधित होता है. ( In Lal Kitab, the Asce...

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वैवाहिक जीवन की शुभता को बनाये रखने के लिये यह कार्य शुभ समय में करना उतम रहता है. अन्यथा इस परिणय सूत्र की शुभता में कमी होने की संभावनाएं बनती है.

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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विवाह पूर्व वर और कन्या का मेलापक जांच करने के बाद ही विवाह करना चाहिए ताकि वैवाहिक जीवन आनन्दमय बना रहे.

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जन्म कुण्डली में 12 घर होते है जिसे भाव कहा जाता है.जैसे किसी संस्था को चलाने के लिए अलग अलग विभाग होते हैं इसी प्रकार सभी भाव अलग अलग कार्यों से सम्बन्धित होते हैं.

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